"उम्मीद"
उम्मीद जीवन मैं कुछ कर गुजरने का अहसास ... जब बुझती लौ भी रोशनी देने लगे जब अनकही बातें मुँह को आने लगे जब डूबे पानी में , और साँस भरने का मन करे जब अहसास हो अस्त होने का वो पुनः उदय कर दे उस अहसास को मैं क्या नाम दूँ? जो जग आधार बना है , सभी उस पर टिके है तन्हाई जब होती है , सहारा उसी का लेते है किंकर्त्यविमूढ़ावस्था में जो कर्तव्य ज्ञान दिलाये वह अहसास जो बार-बार मन को भाये उस अहसास को मैं क्या नाम दूँ? अनेको प्रश्नों का केवल विकल्प बने जो उसे हासिल करे मंजिलो चढ़े आँगन की नीच से आकाश की ऊँच तक अहसास सीढ़ियाँ बने वो राह-ए-कूच तक उस अहसास को मैं क्या नाम दूँ? अनंत, अबाध्य, आक्रामक, अचानक पास इन सभी का सम्मिश्रण है यह अहसास इस अहसास का नाम मैंने खोज लिया है इसे मैं ही नहीं रखता , सभी ने लिया है। ... यह कभी ख़त्म नहीं होगा। ~अतुल कुमार शर्मा~ ...